Saturday, December 6, 2008
'सब-वे' के नीचे
आफिस से लौटते हुवे दोनों -
संतप्त थे देश के
हालतों पर
आर्थिक मंदी \ आतंकवाद
उन दोनों की बातचित का सिलसिला
'सब-वे' से गुजरते हुवे पुरे शबाब पर था तभी...
किसी ने शर्ट का निचला हिस्सा पकड़कर
छोड़ दिया ...
उनमे से एक ने चौकते हुवे पलटकर देखा ,
आठ या दस बरस का लड़का
मैले-फटे कपडों मे खड़ा था हाथ फैलाये |
तभी दूसरा कर्म-प्रधान बोला -" काम करेगा ?"
"चल कंही लगवा देता हूँ |" लड़का बस देखता भर रहा |
पहले ने इस पर प्रतिक्रिया दी - "छोड़ना यार !" ये लोग नही सुधरेगे |
धंधा बना रखा है|
" चल!पहले ही लेट है " |
लड़का पीछे छूटता गया उनसे |
थोडी देर के बाद ..
शराब की दुकान के सामने ठेले पर से
मुट्ठी भर पकौडी उठाकर
यही आठ या दस बरस का लड़का
भाग खड़ा हुआ ..
अभी खाने को मुंह खोला ही था की- एक जोरदार मुक्का पीठ पर पड़ा |
ठेले का मालिक था ..
माँ - भेन एक करता हुआ
ले गया मसली हुई पकौडियां ..अपनी दुकान चलाने ..|
तब- तक उधर वो दोनों हाथो
की सिगरेट बुझा पहुँच गए,गंतव्य तक
उनकी बातों का विषय
अब है - कौन सा ब्रांड ? कितनी मात्रा ?
साथ में खाने को क्या -क्या ?
...इधर ये लड़का बांह से आखें पौछ्ता हुआ,
रेड-लाईट पर आ खड़ा है |
दो रास्ते है उसके आगे पीछे
एक - वही ठेले के पास |
दूसरा- 'सब-वे' के नीचे |
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