किस की शिकायत, किस की सुनवाई
हर तरफ चोर, हर जगह मौसेरे भाई
मुठ्ठियाँ भिचे वो खड़ा है तुमपे ,
क्यों उसको उसकी पीठ दिखाई
किसी तरह बंगला-गाड़ी हो जाए
बड़ी कंगली है ये हलाल की कमाई
उन हाथों के निचे अब सर झुकते है,
जिन हाथों की खुलनी थी कलाई
जाने कैसा फरेब था उस की कहानी में,
साथ हँसने लगे तो आखें भर आई
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